Bharat Bandh: अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में क्रीमी लेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बुधवार को 14 घंटे के लिए भारत बंद बुलाया गया है। नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गनाइजेशन नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को दलितों और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है और केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है और इसी मुद्दे पर भारत बंद का ऐलान किया गया है।
आज भारत बंद क्यों बुलाया गया है (Why has Bharat Bandh been called today?)
आज भारत बंद बुलाने का मुख्य उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले को चुनौती देना और इसे वापस लेने की मांग करना और सरकार पर दबाव बनाना है। संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट को कोटा के भीतर कोटा के फैसले को वापस लेना चाहिए या फिर इस पर पुनर्विचार करना चाहिए।
#WATCH | Bihar: Visuals from Jehanabad where Bharat Bandh supporters have blocked the NH 83 in Unta.
— ANI (@ANI) August 21, 2024
The 'Reservation Bachao Sangharsh Samiti' are observing a day-long Bharat Bandh today to protest the Supreme Court's recent judgment on reservations. pic.twitter.com/vIdlGbxMbi
बंद में शामिल NACDAOR ने दलितों, आदिवासियों और OBC से बुधवार को शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल होने की अपील की है। आज के भारत बंद में शामिल संगठनों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आरक्षण के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है और इसे वापस लिया जाना चाहिए। जानिए क्या-क्या मांगे रखी गई NACDAOR संगठन ने सरकारी नौकरियों में कार्यरत सभी एससी, एसटी और ओबीसी कर्मचारियों का जातिगत डेटा जारी करने और भारतीय न्यायिक सेवा के जरिए न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति की मांग की है।
इसके साथ ही संगठन का कहना है कि सरकारी सेवाओं में SC/ST/OBC कर्मचारियों का जाति आधारित डेटा तुरंत जारी किया जाना चाहिए ताकि उनका सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। समाज के सभी वर्गों से न्यायिक अधिकारियों और जजों की भर्ती के लिए भारतीय न्यायिक सेवा आयोग की भी स्थापना की जानी चाहिए ताकि उच्च न्यायपालिका में SC, ST और OBC वर्ग का 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके। भारत बंद (Bharat Bandh) में कौन-कौन से संगठन और दल शामिल हैं दलित और आदिवासी संगठनों के अलावा कई राज्यों की क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियां (Political parties) भी आज के भारत बंद का समर्थन कर रही हैं। इनमें समाजवादी पार्टी (SP), बहुजन समाज पार्टी (BSP), भीम आर्मी (Bhim Army), आजाद समाज पार्टी (काशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), लोजपा (आर) और अन्य संगठन शामिल हैं। कांग्रेस (Congress) ने भी बंद का समर्थन किया है।
#WATCH | Bihar: The 'Reservation Bachao Sangharsh Samiti' are observing a day-long Bharat Bandh today to protest the Supreme Court's recent judgment on reservations.
— ANI (@ANI) August 21, 2024
(Visuals from Patna) pic.twitter.com/LqU9Mixb0Y
सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले का विरोध हो रहा है? (Which decision of the Supreme Court is being opposed?)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कुछ दिन पहले आरक्षण (Reservation) में क्रीमी लेयर (Creamy Layer) और कोटा के भीतर कोटा से जुड़े मामले में अपना फैसला सुनाया था, जिसमें संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि राज्यों को आरक्षण के लिए कोटा के भीतर कोटा बनाने का अधिकार है। इसका मतलब यह है कि इस फैसले के बाद राज्य सरकारें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए उप-श्रेणियां बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंदों को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के अपने ही पुराने फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने साफ कहा था कि SC के भीतर किसी एक जाति को 100 फीसदी कोटा नहीं दिया जा सकता और SC में शामिल किसी भी जाति का कोटा तय करने से पहले उसके हिस्से का पुख्ता आंकड़ा होना चाहिए। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने यह बड़ा फैसला सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले का विरोध हो रहा है। कई संगठनों ने इसे आरक्षण नीति के खिलाफ बताया है और कहा है कि इससे आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा और सामाजिक न्याय की अवधारणा कमजोर होगी। इसका विरोध करने वालों का यह भी कहना है कि अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए यह आरक्षण उनकी तरक्की के लिए नहीं है, बल्कि उन्हें झेली गई सामाजिक प्रताड़ना से न्याय दिलाने के लिए है।
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