New Criminal Law: पूरे देश में 1 जुलाई से 3 नए क्रिमिनल लॉ लागू हो गए हैं। इंडियन पीनल कोड (IPC) अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) बन गया है। कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) को अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) के नाम से जाना जाएगा। वहीं इंडियन एविडेंस एक्ट (IEA) अब भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) के नाम से जाना जाएगा। इस नए कानून के तहत देश के कई राज्यों में पुलिस ने मामले दर्ज किए हैं।
नए क्रिमिनल लॉ बदलाव से लोगों को क्या-क्या फायदा होगा? (What benefits will people get from the new criminal law changes?)
- अब पीड़ित को FIR की कॉपी मिलेगी।
- लोगों को 90 दिनों में पता चलेगा कि जांच कहां तक पहुंची।
- पीड़ितों के मामलों की अब जल्द सुनवाई होगी।
- जांच में तेजी आएगी, 45 दिनों के अंदर जांच करनी पड़ेगी।
- ट्रायल में लोगों को परेशानी कम होगी, 2 से अधिक स्थगन नहीं मिलेगी।
ऑनलाइन FIR के क्या फायदे होंगे? (What will be the benefits of online FIR?)
पहले ऐसा होता था कि क्राइम (Crime) जिस जगह पर हुआ है हमें वहीं FIR दर्ज करवाना पड़ता था। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब आप किसी दूसरे जगह भी FIR दर्ज करवा सकते हैं और वो फिर उस क्षेत्र में ट्रांसफर हो जाएगा।
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महिला फ्रेंडली कानून है (The law is women friendly)
नए कानूनों के इस बदलाव के माध्यम से कई अच्छी बातें की गयी है। निर्भया कांड (nirbhaya case) के बाद भी कानून में सख्ती की गयी थी। लड़के और लड़कियों के उम्र को बराबर 18 साल कर दिया गया है। दूसरी बात महिलाओं से जुड़े मामलों के लिए महिला जज और महिला पुलिस की भूमिका को सुनिश्चित कर दिया गया है। मेडिकल रिपोर्ट का समय भी तय कर दिया गया है। क्लोजर रिपोर्ट में भी बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि यह महिला फ्रेंडली कानून है। इसमें कोई 2 राय नहीं है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में हुए अहम बदलाव (Important changes in the Indian Civil Defense Code)
- भारतीय दंड संहिता (CrPC) में 484 धाराएं थीं, जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से ऑडियो-वीडियो के जरिए साक्ष्य जुटाने को अहमियत दी गई है।
- नए कानून में किसी भी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था है।
- कोई भी नागरिक अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो FIR दर्ज करा सकेगा। इसे 15 दिन के अंदर मूल जूरिडिक्शन, यानी जहां अपराध हुआ है, वाले क्षेत्र में भेजना होगा।
- सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अथॉरिटी 120 दिनों के अंदर अनुमति देगी। यदि इजाजत नहीं दी गई तो उसे भी सेक्शन माना जाएगा।
- FIR दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप पत्र दायर करना जरूरी होगा। चार्जशीट दाखिल होने के बाद 60 दिन के अंदर अदालत को आरोप तय करने होंगे।
- केस की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के अंदर अदालत को फैसला देना होगा। इसके बाद 7 दिनों में फैसले की कॉपी उपलब्ध करानी होगी।
- हिरासत में लिए गए व्यक्ति के बारे में पुलिस को उसके परिवार को ऑनलाइन, ऑफलाइन सूचना देने के साथ-साथ लिखित जानकारी भी देनी होगी।
- महिलाओं के मामलों में पुलिस को थाने में यदि कोई महिला सिपाही है तो उसकी मौजूदगी में पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा।
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