सीनियर संवाददाता विपुर कुमार
(Noida International University) नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में 17 और 18 दिसंबर को भारतीय ज्ञान, अध्यात्म और अनुसंधान की त्रिवेणी से सजे दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस (international conference) का शानदार आयोजन हुआ। इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड स्पिरिचुअलिटी (Institute for Science and Spirituality and) और एनआईयू की साझेदारी व भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education, Government of India) के ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (All India Council for Technical Education) के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रभाग के तहत आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य और लोकप्रिय प्रेरक वक्ता श्री इंद्रेश कुमार जी ने भारतीय संस्कृति में समाहित ज्ञान की अनमोल धरोहर का जिक्र करते हुए कहा कि एनआईयू मे आयोजित यह कॉन्फ्रेंस भारतीय ज्ञान परंपरा को सशक्त करने में अपनी ऐतिहासिक भूमिका निभाएगा।
नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर प्रो. उमा भारद्वाज ने कहा कि विज्ञान हमें उपकरण और तकनीक देता है, जबकि अध्यात्म हमारे भीतर मानवीय मूल्यों की स्थापना करते हैं। उन्होंने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित इस कॉन्फ्रेंस के जरिए हमें अध्यात्म और विज्ञान के परस्पर संबंधों और उसके संबंधों को लेकर एक समझ विकसित होगी, जो छात्रों और शोधार्थियों के लिए बेहद मददगार साबित होगी।
इस कॉन्फ्रेंस में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि भारत ज्ञान और आध्यात्मिक परंपरा के निर्वहन के मामले में हमेशा अग्रणी रहा है और भारतीय संस्कृति व हमारे मानवीय मूल्य पूरी दुनिया में पूज्य और प्रतिष्ठित हैं।
दो दिवसीय अंतराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना के सेंटर फॉर कांशसनेस के डायरेक्टर प्रो. स्टुअर्ट हैमरॉफ ने अपने शोध के बारे में बात करते हुए अध्यात्म के प्रभाव से प्रतिभागियों को परिचित कराया। वहीं कॉन्फ्रेंस में विशेष अतिथि के तौर पर उपस्थित आईआईटी मंडी के डायरेक्टर प्रो. लक्ष्मीधर बहेरा ने आध्यात्मिक चेतना के विज्ञान को नए सिरे से समझाया। इसके साथ ही ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रभाग के संयोजक श्री जीएस मूर्ति ने भारत की विशाल ज्ञान परंपरा का जिक्र करते हुए उसके बहुमुखी प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के अवसर पर कॉन्फ्रेंस ‘जिज्ञासा’ के अध्यक्ष प्रो. सुरेश भल्ला और कार्यक्रम आयोजन सचिव डॉ. ज्योतिरंजन बेउरिया ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया। इस कॉन्फ्रेंस में पहले दिन करीब तीन सौ शिक्षकगण और शोधार्थी शामिल हुए, वहीं कॉन्फ्रेस के दूसरे दिन भी देश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए सभी प्रतिभागियों ने ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म की परिचर्चा का लाभ उठाया। वहीं कॉन्फ्रेंस में विज्ञान और अध्यात्म विषयों से संबंधित करीब 50 शोधार्थियों ने अपने महत्वपूर्ण शोध पत्र इस कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किए।
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन विशेष अतिथि सीएसआईआर के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक श्री वी. श्रीनिवास ने भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों के संदर्भ में अध्यात्म की भूमिका की व्याख्या की। वहीं नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के प्रो. वाइस चांसलर प्रोफेसर प्रसेनजीत कुमार ने कहा कि अध्यात्म और विज्ञान के समन्वय से ही देश की प्रगति के नए दरवाजे खुलते हैं। नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी का दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘जिज्ञासा’ का शानदार समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि यूनिवर्सिटी भविष्य में इस तरह के कॉन्फ्रेस, सेमिनार और विशेष प्रशिक्षण के जरिए भारतीय ज्ञान परंपरा को और समृद्ध करने की पहल करती रहेगी। कॉन्फ्रेंस की सफलता पर नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर और यूपी के पूर्व डीजीपी प्रो. विक्रम सिंह ने संदेश के जरिए कहा कि यह कॉन्फ्रेंस छात्रों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों के लिए बेहद उपयोगी और प्रेरक रहा।