Bihar Politics: JDU के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह ने BJP पर किया जबरदस्त हमला, कहा-कि बीजेपी जनता की ताकत पर विश्‍वास नहीं करती

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Patna: Bihar Politics: महाराष्‍ट्र की राजनीति (politics of Maharashtra) में इस समय बड़ा हलचल हो रहा है अजित पवार (Ajit Pawar) ने एक बार फिर शरद पवार (Sharad Pawar) को बड़ा झटका दिया है यह झटका ऐसे समय पर दिया हैं जब सभी विपक्षी पार्टी बीजेपी (BJP) के खिलाफ एक हो रहे है इस फुट से बीजेपी (BJP) को और ताकत मिलेगी. एनसीपी (NCP) में हुई बड़ी फूट और अजित पवार (Ajit Pawar) समेत पार्टी के कई विधायकों (MLA) के बीजेपी (BJP) और शि‍वसेना सीएम एकनाथ शिंदे (Shiv Sena CM Eknath Shinde) की सरकार में शामिल होने पर जदयू (JDU) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह (National President Lalan Singh) ने बीजेपी (BJP) पर जबरदस्त हमला बोला है.

जदयू (JDU) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ललन सिंह (National President Lalan Singh) ने कहा-कि बीजेपी (BJP) जनता की ताकत पर विश्‍वास नहीं करती है, जोड़तोड़ पर विश्‍वास करती है। जनता की ताकत से बीजेपी (BJP) को झटका लगेगा। वहीं, यह पूछे जाने पर कि क्‍या महाराष्‍ट्र जैसी स्थि‍ति बिहार में भी हो सकती है? इस पर ललन सिंह ने कहा कि यह कोशिश बीजेपी (BJP) ने कई बार कर चुका है लेकिन इनका मंसूबा अभी तक कामयाब नहीं सका है।

वहीं, महाराष्ट्र (Maharashtra) के राजनीतिक घटनाक्रम पर जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी (JDU national spokesperson KC Tyagi) ने कहा कि यह अफसोसजनक है। बीजेपी (BJP) स्वस्थ शासन देने के बजाय जांच एजेंसियों जैसे ईडी (ED), सीबीआई (CBI) और आईटी (IT) का इस्तेमाल कर दबाव बनाती है और फिर अपना काम करती है। और आगे-कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि यह विपक्षी एकजुटता पर बहुत बड़ा आघात है। बिहार के बाद महाराष्ट्र विपक्षी एकता का बड़ा गढ़ था।

बीजेपी ने एनसीपी से हाथ कैसे मिला लिया? – केसी त्‍यागी (How did BJP join hands with NCP? – K C Tyagi)
इसकी भी चर्चा होनी चाहिए कि अजित पवार (Ajit Pawar) पर दर्जनों मामले दर्ज हैं। एनसीपी (NCP) को बीजेपी नेशनल करप्शन पार्टी कहती रही है। ऐसे में बीजेपी ने एनसीपी से हाथ कैसे मिला लिया।

बीजेपी (BJP) को भी इस पर सोचना होगा, जिस समय 24 घंटे के लिए अजि‍त पवार को बीजेपी (BJP) ने पिछली बार अपने साथ जोड़कर सरकार बनाया था, तब उनके मुकदमे वापस होने लगे थे। वहीं, जब वह पुन: वापस एनसीपी (NCP) में आ गए तो उन पर फिर जांच शुरू हो गयी।

बीजेपी (BJP) दबाव बनाती है और फिर अपने साथ आने को विवश कराती है। शासक दल द्वारा एजेंसियों का इस्तेमाल किया जाता है। सबसे अधिक नोटिस में लिए जाने वाली बात यह है कि प्रफुल्ल पटेल ने भी शरद पवार का साथ छोड़ दिया है। बीजेपी (BJP) विपक्षी दलों को चुनाव में पराजित किए जाने की जगह उन पर जांच ऐजेंसियों का दबाव बनाकर उन्हें रास्ते से हटाती है।

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