Patna: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने नीतीश सरकार (Nitish government) को बड़ा झटका दिया है। बिहार (Bihar) में जातिगत आधारित गणना (caste based enumeration) पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी है. हाईकोर्ट (Patna High Court) ने कहा कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट नहीं किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई (3 July) को होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जाति आधारित गणना (caste based enumeration) को रद्द (Cancelled) करने के लिए याचिकाएं दाखिल (filing petitions) हुई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तुरंत इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था. बिहार के उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister of Bihar) ने जातिगत गणना पर हाईकोर्ट की अंतरिम रोक पर कहा कि हमारी सरकार जातिगत गणना (caste enumeration) कराने के लिए प्रतिबद्ध है. हम राज्य में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए ये सर्वे कर रहे हैं. हम अपनी कोशिश जारी रखेंगे.
हमारी सरकार जाति आधारित सर्वे कराने के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध है और कराएगी।
गरीबी, बेरोजगारी हटाने एवं जनकल्याणकारी नीतियाँ बनाने के लिए सरकारों को वैज्ञानिक आँकड़ों की आवश्यकता होती है। इसके लिए ही हमारी सरकार सभी जातियों और वर्गों को सम्मिलित कर जाति आधारित सर्वे करवा रही है।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 4, 2023
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था की यचिकाकर्ता पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) जा सकते हैं. प्रथम दृष्टया ये ‘पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन (Publicity Interest Litigation)’ लगती है. बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) का कहना है कि ये जातिगत आधारित गणना (caste based enumeration) आम जनता की भलाई के लिए किया जा रहा है. इसी के आधार पर भविष्य में लोककल्याणकारी नीतियां सरकार बनाएगी.
बिहार (Bihar) में जातिगत आधारित गणना (caste based enumeration) पर कई सवाल उठ रहे हैं. सवल उठ रहा है कि क्या बिहार सरकार जातिगत गणना (bihar government caste enumeration) कराने की कार्यवाही की जा रही है वह संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है? क्या भारत का संविधान राज्य सरकार को जातिगत गणना करवाए जाने का अधिकार देता है? 6 जून को बिहार सरकार के उप सचिव द्वारा जारी अधिसूचना जातिगत आधारित गणना कानून 1948 के खिलाफ है? क्या कानून के अभाव में जाति गणना की अधिसूचना, राज्य को कानूनन अनुमति देता है? क्या राज्य सरकार का जातिगत आधारित गणना कराने का फैसला सभी राजनीतिक पार्टियों के सहमति से ये निर्णय लिया गया हैं?